
महंगाई पर नियंत्रण के बाद अब आरबीआई का ध्यान आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने पर है। इसी उद्देश्य को लेकर केंद्रीय बैंक ने रेपो दर में 0.25 फीसदी कटौती की घोषणा की है। इस तरह, आरबीआई फरवरी से अब तक रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती कर चुका है। रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई दूसरे बैंकों को छोटी अवधि के लिए कर्ज देता है। इन दरों में बदलाव का असर बैंक की ब्याज दरों पर भी पड़ता है। यानी कि जब रेपो रेट कम होता है, तब इससे आम ग्राहकों को कर्ज की ईएमआई में राहत मिलती है।
पुराने और नए दोनों ग्राहकों को लाभ
जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक भी अपने लोन प्रोडक्ट यानी कर्ज की ब्याज दरों में कटौती करते हैं और नए कर्जदारों को कम ब्याज पर ऋण मिल सकता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि पुराने ग्राहक जिनका पहले से लोन चल रहा है, उन्हें इससे कोई फायदा नहीं होगा। ध्यान रहे कि अगर आपका लोन फिक्स्ड रेट पर है तो रेपो दर में बदलाव का असर आपके कर्ज पर नहीं पड़ेगा जब तक कि आप अपना लोन फिक्स्ड रेट से फ्लोटिंग रेट में नहीं बदलवा लेते। लेकिन, होम लोन अक्सर लंबी अवधि के लिए फ्लोटिंग रेट सिस्टम पर आधारित होते हैं और रेपो दर से जुड़े होते हैं। अगर आरबीआई ने रेपो दर कम किया है तो आपकी फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन की ब्याज दरें भी कम हो जाएंगी। लेकिन, हो सकता है कि इसमें थोड़ा समय लग जाए।