
रायपुर। राज्य सरकार ने रायपुर से विशाखापट्टनम तक बनने वाले सिक्स लेन ग्रीन ग्लास के लिए भूमि अधिग्रहण में अभनपुर के विशाखापत्तनम के विशाखापत्तनम को मंजूरी दे दी है।
डॉक्यूमेंट्री का खुलासा
मोटोरोला का रिवोल्यूशन मॉडल ने प्लांट के डिस्ट्रीब्यूशन में बड़ा खुलासा किया इस परियोजना के लिए 35 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, मगर छोटे पैमाने पर ज़मीन बाँटकर इसे 326 करोड़ तक पहुँचाया गया। एक्सपर्ट्स वाली बात यह है कि इसमें 248 करोड़ रुपये का वितरण भी किया गया था। किसानों के विरोध के बाद 78 करोड़ रुपये की रकम लेकर इस घोटाले का खुलासा हुआ।
खेल कैसे हुआ?
भूमि अधिग्रहण के तहत 3ई अधिसूचना जारी होने के बाद भूमि की बिक्री और पुनर्वितरण पर प्रतिबंध है। लेकिन अभनपुर के नायकबंधा और उरला गांव में इस प्रतिबंध के बावजूद 32 प्लॉटों को 247 छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया गया ताकि राष्ट्रीय राजमार्ग से अधिक स्मारक प्राप्त किया जा सके।
आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, 32 प्लॉटों के लिए 35 करोड़ रुपये का विनाश हुआ था, लेकिन कंकाल ने लोगों से मिलकर 142 करोड़ रुपये का विनाश किया और 248 करोड़ रुपये का विनाश किया। इसके अतिरिक्त, 78 करोड़ रुपये का और दावा किया गया।
एक्टर का खुलासा कैसे हुआ?
248 करोड़ रुपये की रिलीज के बाद जब 78 करोड़ रुपये और विशेषज्ञों की जांच हुई, तब नेशनल हाईवे के दिग्गजों के बीच गड़बड़ी का संदेह हुआ। इसके बाद एनएचएआई के प्रमुख विजिलेंस अधिकारी ने रायपुर रजिस्ट्रार से मामले की जांच की बात कही। हालाँकि, यह जाँच पड़ताल सालों तक चलती रही, लेकिन दिल्ली से दबाव बढ़ने के बाद की रिपोर्ट राजस्व सचिव को सौंप दी गई। जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि रियल्टी कम्युनिस्टों ने लगभग 35 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया था, यानी 213 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था।
बड़े बिजनेसमैन भी शामिल
जैसे ही भारतमाला रोड प्रोजेक्ट की घोषणा हुई, रायपुर और धमतरी के बड़े बिजनेसमैन ने आस-पास की जमीनें खरीद लीं। कानून के अनुसार, 500 वर्ग फुट से छोटे प्लॉट पर आठ गुना अधिक मोर्टार है। इस नियम का फायदा यह हुआ कि जमीनों को छोटे-छोटे खेतों में बाँटकर अधिक मोर्टार ले लिया गया।