
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि वह राज्य विधानसभा की बैठक बुलाने का निर्देश देने से इनकार कर देता है, ताकि CAG (लेखा परीक्षक) रिपोर्ट पेश की जा सके। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने इस मामले में सरकार की ओर से अत्यधिक देरी को लेकर चिंता जताई।
हाईकोर्ट ने साफ कहा कि संविधान के अनुसार ऑडिट रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करना अनिवार्य है, लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि इसे लेकर विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने के लिए वह सहमत नहीं हैं। अदालत ने कहा कि विधानसभा चुनावों के आस-पास होने के कारण बैठक बुलाने की कोई तात्कालिकता नहीं है।
इस मामले में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता समेत कई भाजपा विधायकों ने पिछले साल अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसमें स्पीकर को सदन की बैठक बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया कि CAG की रिपोर्ट का जल्द प्रस्तुत होना आवश्यक है ताकि जनता को सरकार के वित्तीय मामलों की सही जानकारी मिल सके।
हालांकि, स्पीकर और सरकार के वरिष्ठ वकीलों ने इस आदेश के खिलाफ अपील की और कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर रिपोर्ट को प्रस्तुत करने में कोई जल्दी नहीं होनी चाहिए।
इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है और इसे लेकर अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या सरकार अपने वित्तीय मामलों में पारदर्शिता के प्रति गंभीर है या नहीं।